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गणेश वन्दना
   
नमामि शंकर गणेश शंकर , जागी ज्योति तुम्हारी |
देश-जाति-भाषा के दीपक तुम ही थे अवतारी |
 
अत्याचारी झुक जाते है
देख इसे लहराते ,
अविचारों पर गाज गिर रही
देख इसे इठलाते |
शान्ति क्रांति भावों से जलती है ये ज्योति तुम्हारी ||
नमामि शंकर .....................
मेरे नहीं तुम मूर्तिमान हो
बच्चा बच्चा बने गणेश,
सूचि सेवा साधना सादगी
से झूमे सारा परिवेश |
मानवता के माहामंत्र सी आयी याद तुम्हारी ||
नमामि शंकर ................
मन में साहस लगन लगी है
जन जन शिक्षा पाये
और तुम्हारी कर्मभूमि का कण -कण झूमे गाये |
अन्यायों में कभी न झुकाती ऐसी लगन हमारी ||
नमामि शंकर ......................
इस विकासोन्मुख धरती की यही एक अभिलाषा ,
हर पढ़ने वालों के मन में
हो तेरी परिभाषा |
बच्चा-बच्चा बन गणेश हो मानवता अधिकारी
नमामि शंकर ...............
इस धरती का कण - कण देखो
तुम पर है बलिहारी ,
देश-जाति-घर -आँगन जागे ,
लखकर ज्योति तुम्हारी
स्वाभिमान की अमर जुप्ती ये दशों दिशाओं न्यारी ||
नमामि शंकर .....................
शंकर कृष्ण सूर्य चन्दा भी
तुम्हें नमन करते है ,
रग-रग रमी सभी के मन में
यही आश रखते है |
भाईचारा भव्य भाव में जागे शक्ति तुम्हारी ||
नमामि शंकर ..............
गण गणेश की यश गाथाएँ
दशों दिशा में गायेगें , और उन्हीं के पद चिन्हों पर
चलकर मुक्ति पायेगें |
जय गणेश के उद्घोषों से गूंजे धरा हमासी ||
नमामि शंकर ..........