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संक्षिप्त परिचय
Important fact to come before the Committee
विकास समिति नरवल जो मुख्यत: स्थानीय समस्याओं के निराकरण हेतु बनाई गई थी, अन्ततोगत्वा क्षेत्र की प्रमुख समस्या से अवगत हुई | सर्वेक्षण के उपरान्त महत्वपूर्ण तथ्य समिति के समक्ष आए |
समिति ने पाया -
1. कि नरवल के 30 से 35 किमी० के दायरे में 20 इण्टरमीडिएट कालेज हैं, परन्तु महाविद्यालय एक भी नहीं हैं |
2. कि लगभग 6000 से अधिक विद्यार्थी प्रतिवर्ष इण्टरमीडिएट परीक्षा में विभिन्न पाठ्यक्रमों में सम्मिलित होते हैं, परन्तु 95% विद्याथी उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं |
3. कि वर्ष 1991 में 2321 विद्यार्थी व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में सम्मिलित हुए, जिनमें 70% महिलाएं थी, जो कि पूर्णरूप से उच्च शिक्षा से वंचित रही |
विकास समिति को उपरोक्त तथ्यों ने यह स्पष्ट कर दिया कि इन स्थितियों के रहते हुए क्षेत्र का समुचित सामाजिक, आर्थिक एवं बौद्धिक विकास सम्भव नहीं हैं | फलत: विकास समिति नरवल ने अपनी प्राथमिकताएँ सुनिश्चित की और इस क्षेत्र में जन सहयोग द्वारा प्रात: स्मरणीय श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की स्मृति में एक महाविद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया |
इस पुनीत उददेश्य की पूर्ति हेतु कई विशिष्ट व्यक्तियों एवं संस्थाओं ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया | सर्वप्रथम ग्रामसभा सेमरझाल ने ग्राम टिकरा की 20 बीघा जमीन इस कार्य हेतु दान स्वरूप प्रदान की | यह विकास के पथ पर एक उल्लेखनीय कदम था | आगे आने वाली पीढियां ग्राम टिकरा की भूमिका हमेशा याद रखेंगी जिसकी भूमि पर इस महाविद्यालय ने जन्म लिया |
विकास समिति नरवल उन दानवीरों की हमेशा आभारी रहेगी जिन्होनें अनुग्रह राशि देकर इस पुनीत उद्देश्य को प्राप्त करने में सहयोग दिया |

विकास समिति नरवल को पूर्ण विश्वास है कि आपका यह महाविद्यालय -
1. गरीबी के बोझ से लंदे विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएगा |
2. महिला विद्यार्थी जोकि रूढ़िवादिता के कारण दूरदराज तक जाकर शिक्षा से वंचित थी को अध्ययन की सुविधा प्रदान करेगा जिससे कि वे अपने भविष्य को अपनी इच्छानुसार सँवार सकें |
विकास समिति नरवल को पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में महान विभूति स्वनाम धन्य "गणेश" को समर्पित यह महाविद्यालय नरवल व उसके आसपास व्याप्त अंधकार एवं उन्नति में बाधक सकल "विघ्र" को समूल नष्ट कर सकेगा और वर्षों तक ज्ञान का आलोक दिग- दिगन्त में बिखेरता रहेगा | हम यह भी विश्वास दिलाते हैं कि यह महाविद्यालय शहीद शिरोमणि गणेश शंकर जी के इन शब्दों के अनुरूप ही पल्लवित एवं पुष्पित होगा :-
" जितने शीघ्र हमारे देश के विचारमान लोग देश की शिक्षा सम्बन्धी संस्थाओं को मजहब, जाति अथवा सम्प्रदाय की नींव पर खड़ें करने की अपेक्षा देशीयता की पवित्र तथा उदार नींव पर खड़ा करना सीख जावें उतना स्न्किर्नता शिक्षा के वास्तविक लक्ष्य का नाश कर देती है | देश के कल्याण के लिए अत्यन्त आवश्यक है कि हम मजहबी बैटन को केवल मात्र अपनी- अपनी व्यक्तिता तक परिमित कर अपने हर प्रकार के सार्वजनिक जीवन में सर्वथा भारतवासी बने रहें | "